#sadachar ka mahtva- hindi story
सदाचार का महत्व
काफी पुराने समय की बात है, जंगल में घना पेड़ हुआ करता था। उस पेड़ के नीचे के छोटी सी झोपडी थी उस झोपडी में एक साधू महात्मा रहते थे। वह महात्मा रोजाना संध्या के समय प्रवचन देते थे और लोगों को सदाचार की बातें बताया करते थे।
रोजाना सैकड़ों लोग उनके सत्संग और विचार सुनने आया करते थे। एक दिन महात्मा जी लोगों को सदाचार के बारे में बता रहे थे। सत्संग खत्म होने पर महात्मा जी विश्राम करने अपनी कुटिया में जा ही रहे थे कि तभी एक व्यक्ति उनके पास आया। वो व्यक्ति बड़ा परेशान सा नजर आ रहा था।
वह व्यक्ति बोला – “महात्मा जी मैं काफी समय से आपके प्रवचन सुन रहा हूँ रोज आप काफी प्रेरक और सदाचार की बातें बताते हो लेकिन इन सबका जीवन पर कोई प्रभाव को पड़ता ही नहीं है। मैं काफी समय से आपकी बातें सुनता आया हूँ लेकिन मेरे अन्दर बदलाव तो नहीं आया फिर इन सदाचार की बातों का क्या फायदा है ?”
महात्मा जी ने उस व्यक्ति को एक लकड़ी की टोकरी दी और कहा कल सुबह इस टोकरी में पानी भरकर लाना फिर मैं आपके सवालों का जवाब दूंगा।
उस व्यक्ति को बड़ा आश्चर्य हुआ कि इस लकड़ी की टोकरी में पानी कैसे भरेगा क्यूंकि उसमें तो काफी छेद हैं| वह व्यक्ति सुबह उठकर नदी के किनारे गया और टोकरी में पानी भरने का प्रयास करने लगा।
जैसे ही वो टोकरी में पानी भरने की कोशिश करता, सारा पानी नीचे से निकल जाता। उसने फिर प्रयास किया, फिर से पानी निकल गया| वह व्यक्ति घंटों प्रयास करता रहा लेकिन हर बार पानी नीचे से निकल जाता था| प्रयास करते करते शाम हो गयी, वह व्यक्ति बड़ा परेशान हुआ कि अब महात्मा जी को क्या जवाब देगा।
अगले दिन वह जब महात्मा जी के पास पंहुचा तो उसने उन्हें सारी बात बताई कि टोकरी में पानी भरने का काफी प्रयास किया लेकिन हर बार पानी छेदों से निकल जाता है।
महात्मा जी बोले – अच्छा यह बताओ कि तुमको इस टोकरी में पहले की तुलना में कुछ फर्क नजर आया।
वह व्यक्ति बोला – हाँ, यह टोकरी पहले गन्दी थी इसपे काफी धूल जमा थी लेकिन अब यह एकदम साफ़ नजर आती है।
महात्मा जी मुस्कुरा के बोले – बेटा ये टोकरी तुम्हारे जीवन की तरह है और पानी सदाचार की तरह है। पहले टोकरी गन्दी थी लेकिन पानी में पूरे दिन रहने कि वजह से साफ़ नजर आ रही है ठीक वैसे ही लगातार सदाचार की बातें सुनने और अपनाने से तुम्हारे मन की गन्दी भी धुलती जाती है। तुमको इसका अहसास तुरंत नहीं होगा ये सदाचार की भावना धीरे धीरे तुम्हारे मन और चित्त को साफ़ करती जाती है।
अच्छे कर्म करो, थोडा समय गुजरने दो फिर तुम खुद अपने आप में परिवर्तन महसूस करोगे। पानी रूपी ज्ञान तुम्हारे अन्दर भरने लगेगा
यह सुनकर वह व्यक्ति महात्मा जी के चरणों में गिर पड़ा।