Hindi Poem: लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती

Hindi Poem- Lahron se Dar Kar Nauka Paar Nahi Hoti

Man Standing on a rock
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
 कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
 नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है।।



 मन का विश्वास रगों में साहस भरता है, 
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है।
 आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती, 
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।।



 डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है, 
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है। 
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में, 
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में।।


मुट्ठी उसकी खाली हर एक बार नहीं होती, 
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।।


 असफलता एक चुनौती है,
 इसे स्वीकार करो, क्या कमी रह गई,
 देखो और सुधार करो। 
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
 संघर्ष का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम।।


कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती,
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती, 
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।।

इस कविता के मूल रचयिता को लेकर विवाद है। कुछ लोग इसे डॉ. हरिवंशराय बच्चन जी की रचना मानते हैं। कुछ लोगों द्वारा इसे महाकवि निराला की रचना भी कहा गया है, लेकिन अधिकांश सबूत इशारा करते है की इसे सोहनलाल द्विवेदी ने रचित किया था।

10 thoughts on “Hindi Poem: लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती”

  1. कोशिश एक इन्वेस्टमेंट है जिस का नतीजा हमेशा तुरंत मिलता ये मिलेगा ज़रूर
    दूसरा आप ने कोशिश कितनी की ये केवल इस पर भी डिपेंड करता है

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  2. Ye poem itni sandar aur jandar h ki is poem ko har padne ke bad mere andar ek alag si hi urja utpan hoti h.

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  3. यह कविता सोहन लाल द्विवेदी जी द्वारा रचित है।
    यह प्रमाणित हैं चुका है
    अमिताभ बच्चन जी भी यही कह रहे हैं।
    🌷 जय श्री राम 🙏

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  4. यह प्रसिद्ध प्रेरणादायी कविता पद्मश्री पंडित सोहनलाल द्विवेदी जी के द्वारा रचित है उनको उनके जन्मदिन पर कोटि कोटि नमन विनम्र श्रद्धांजलि

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