कैसे बना साइकिल? साइकिल के खोज की मजेदार कहानी!

image of worlds most popular cycle flying pigeon
संसार की सबसे मशहूर साइकिल चीन की Flying Pigeon

साइकिल तो लगभग सबने चलाई होगी। लेकिन क्या कभी आपने सोचा की साइकिल कहाँ से आयी, इसकी खोज सबसे पहले कहाँ हुई?, सबसे पहली साइकिल कैसी दिखती थी। चलिए जानते है साइकिल की कहानी।

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साइकिल का इतिहास

इंसानो से तेज चलने वाले किसी यंत्र का विचार तो लोगों के मन में बहुत पहले से ही था, लेकिन इसे मूर्तरूप सर्वप्रथम सन् 1816 में पेरिस के एक कारीगर ने दिया। उस यंत्र को हॉबी हॉर्स, अर्थात काठ का घोड़ा, कहते थे। इस पर बैठकर जमीन को पांव से पीछे की ओर धकेलकर आगे की तरफ़ बढ़ा जाता था। ये साइकिल तो नहीं थी लेकिन यहीं से लोगों को लगा की किसी ऐसे यन्त्र को काम में लाया जा सकता है।

इसके बाद 1817 में जर्मनी के “बैरन फ़ॉन ड्रेविस” ने साइकिल की रूपरेखा तैयार की। जो कुछ हद तक आज के साइकिल की तरह दिखती थी। यह लकड़ी की बनी थी तथा इसका नाम ड्रेसियेन रखा गया था। इसे भी पैरो से ही धकेलना पड़ता था। इसकी की गति 15 किलो मीटर प्रति घंटा थी।

सन् 1865 ई. में पैरिस निवासी लालेमें (Lallement) ने पैर से घुमाए जानेवाले क्रैंकों (पैडल) युक्त पहिए का आविष्कार। इसमें एक बहुत ही बड़ा सा और एक बहुत ही छोटा पहिया था। इसपर चढ़नेवाले को बेहद थकावट हो जाती थी। अत: इसे हाड़तोड (bone shaker) भी कहने लगे।

आधुनिक साइकिल का आविष्कार

साइकिल अविष्कार किसने किया?

चूँकि साइकिल के अविष्कार में कई लोगों का योगदान है इसलिए किसी एक को अविष्कारक कहना सही नहीं होगा। लेकीन आधुनिक साइकिल के जैसी दिखने वाली पहली डिज़ाइन सर्वप्रथम 1839 में स्कॉटलैंड के एक लुहार किर्कपैट्रिक मैकमिलन द्वारा तैयार किया गया था।

सन् 1865 ई. में पैरिस निवासी लालेमें (Lallement) के हाड़तोड की सवारी, लोकप्रिय हो जाने के कारण, इसकी बढ़ती माँग को देखकर इंग्लैंड, फ्रांस और अमेरिका के यंत्रनिर्माताओं ने इसमें अनेक महत्वपूर्ण सुधार कर सन् 1872 में एक सुंदर रूप दे दिया।

भारत में साइकिल का प्रचलन

भारत में भी साइकिल के पहियों ने आर्थिक तरक्की में अहम भूमिका निभाई। 1947 में आजादी के बाद अगले कई दशक तक देश में साइकिल यातायात व्यवस्था का अनिवार्य हिस्सा रही। खासतौर पर 1960 से लेकर 1990 तक भारत में ज्यादातर परिवारों के पास साइकिल थी। यह व्यक्तिगत यातायात का सबसे ताकतवर और किफायती साधन था।

सब्जी, दूध और अन्य दूसरी फसलों को साइकिल से ही ले जाया जाता था। डाक विभाग का तो पूरा तंत्र ही साइकिल के बूते चलता था।

उदारीकरण के कुछ साल बाद ही लोगों में मोटरसाइकिल का शौक बढ़ रहा था। धीरे धीरे मोटरसाइकिल सबकी पहली पसंद बन गयी। इसके बावजूद भारत में साइकिल की अहमियत खत्म नहीं हुई है। शायद यही वजह है कि चीन के बाद दुनिया में आज भी सबसे ज्यादा साइकिल भारत में बनती हैं।

क्या आप जानते हैं ?

  • एक कार की जगह 15 साइकिलें खड़ी हो सकती हैं।
  • दुनिया की सबसे बड़ी टंडम साइकिल लगभग 20 मीटर लम्बी है, जिस पर 23 लोग बैठ सकते हैं।
  • पहली साइकिल रेस 31 मई, 1868 को हुई थी। इसका आयोजन पैरिस के पार्क दे सेंट क्लाऊड में किया गया था। यह रेस 1200 मीटर की थी। इसके विजेता रहे थे इंगलैंड के जेम्स मूरे

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