वैसे तो झरने कमाल के और बेहद ही खूबसूरत होते हैं। झरने से गिरता हुआ पानी हर किसी का मन मोह लेता हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं, एक झरना ऐसा भी है जहाँ पानी के बजाय खून बहता है। असल में ये खून नहीं है बल्कि यहाँ का पानी खून जैसा गाढ़ा और लाल है।
ये सच है अंटार्कटिका की मैक-मरडो (McMurdo Valleys) की घाटी में स्थित टॉयलेर ग्लेशियर में एक ऐसा वाटरफॉल है, जिससे बहने वाले पानी का रंग खून के जैसा गाढ़ा लाल है। इसका झरने का नाम इसी कारण से ब्लड फॉल (Blood Falls) पड़ गया।
टॉयलर ग्लेशियर की खोज
टॉयलर ग्लेशियर की खोज 1911 में ऑस्ट्रलियाई जीव विज्ञानी ग्रिफिथ टॉयलर (Griffith Taylor) ने की थी। उन्होंने देखा कि यहां तो खूनी वाटर फॉल गिर रहा है। उन्हें पहले लगा कि ये लाल रंग माइक्रोस्कोपिक लाल शैवाल की वजह से है मगर साल 2003 में टेलर की शैवाल वाली थ्योरी को गलत साबित कर दिया गया। यह ब्लड फॉल पांच मंजिला इमारत जितना ऊंचा है।
सदियों से इस झरने के पानी का रंग लाल है। जिस जगह यह झरना है, वहां का तापमान हमेशा माइनस में रहता है, लेकिन झरना फिर भी बहता रहता है। इसके पानी में 17 प्रकार के सूक्ष्म जीव पाए जाते हैं। और कोई भी ऑक्सीजन नहीं है।
खूनी झरने का रंग लाल क्यों है
पहले वैज्ञानिको को लगता था कि इसके लाल रंग का कारण लाल शैवाल (Red Algae) है। लेकिन हालिया हुई जर्नल ऑफ़ ग्लेशिओलॉजी ( Journal of Glaciology ) के एक अध्यन में बर्फ परतों के रडार स्कैन से सच्चाई का पता चला।
ग्लेशियर के अंदर के तस्वीरों से पता चला की इसके नीचे कई नदियों और झीलों का जाल है। जिसमे अत्यधिक खारा पानी और बहुत ही अधिक मात्रा में आयरन (Iron) मौजूद है जो झरने को लाल रंग देता है।
चूँकि झरने का पानी बहुत ही खारा है इसलिए ये शून्य से नीचे के तापमान पर भी द्रव बना रहता है। क्यूंकि साफ़ पानी के मुकाबले नमकीन पानी के जमने का तापमान बहुत ही कम होता है।
टॉयलर ग्लेशियर धरती का सबसे ठंडा ग्लेशियर है जिसमे पानी बहता है। -17 डिग्री सेल्सियस पर बाकि सभी ग्लेशियर जम जाते हैं।
इस झरने के पीछे का विज्ञान आप नीचे दी गई तस्वीर से समझ सकते है:-