झाँसी की रानी की समाधि – Hindi Poem

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चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी,..बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,…खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी..

नर हो, न निराश करो मन को | Hindi Poem

यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो, समझो जिसमें, यह व्यर्थ न हो, कुछ तो उपयुक्त करो तन को, नर हो, न निराश करो मन को। — मैथलीशरण गुप्त