शक्ति और क्षमा – Hindi Poem

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तीन दिवस तक पंथ माँगते, रघुपति सिंधु किनारे, बैठे पढ़ते रहे छन्द, अनुनय के प्यार- प्यारे।

जो बीत गई सो बात गई – Hindi Poem

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अंबर के आंगन को देखो, कितने इसके तारे टूटे, कितने इसके प्यारे छूटे, जो छूट गए फिर कहाँ मिले, पर बोलो टूटे तारों पर, कब अंबर शोक मनाता है